फोरेक्स के मूल बातें

क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है

क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने में किन 7 बातों का रखें ध्यान?

मेडिकल इंश्योरेंस जरूरी

लगातार बढ़ते मेडिकल खर्च के इस दौर में मेडिक्लेम पॉलिसी जल्द से जल्द ले लेने में ही समझदारी है. कुछ दिन पहले बाइक से हुई दुर्घटना में वैभव राठी के पैर की हड्डी टूट गयी. जब वे अस्पताल पहुंचे तो उन्हें पता लगा उनके सिर में हेयर लाइन फ्रैक्चर भी हुआ है. दोनों के इलाज का खर्च दो-तीन लाख रुपये आ सकता है. राठी को यह पैसा अपनी जेब से खर्च करना पड़ा.

क्यों खरीदें हेल्थ पॉलिसी?

स्वास्थ्य पर खर्च लगातार बढ़ रहा है और अब मामूली बीमारियों के इलाज में भी लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं. ऐसे में समय से हेल्थ इंश्योरेंस लेना जरूरी है. यह आपकी जेब पर पड़ने वाले भार को कम करने में मदद करता है.

आपकी मदद के लिए तैयार

मेडिकल इमरजेंसी के मामले में 80 फीसदी केस पैसे की दिक्कत की वजह से बिगड़ जाते हैं. किसी दुर्घटना की स्थिति में न सिर्फ इलाज पर आपको पैसे खर्च करने पड़ते हैं, बल्कि आपकी कमाने की क्षमता भी घट जाती है. इस हिसाब से दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति पर दोहरी मार पड़ती है.

कम निवेश से बड़ा फायदा

हेल्थ इंश्योरेंस के लिए नियमित अंतराल पर आप थोड़ा-थोड़ा प्रीमियम चुकाकर खुद के लिए मेडिकल खर्च की व्यवस्था कर सकते हैं. यह आज के दौर में जरूरी है.

पैसे की बर्बादी नहीं

बहुत से लोग मेडिक्लेम या हेल्थ इंश्योरेंस लेने को पैसे की बर्बादी मानते हैं. अगर आपको इसका क्लेम लेने की जरूरत नहीं पड़े तो बहुत अच्छी बात है. स्वस्थ रहने और संभलकर रहने का कोई विकल्प नहीं, लेकिन अगर कभी आपको जरूरत पड़ ही जाए तो यह आपकी जेब में छेद होने से बचा सकता है. मामूली सा प्रीमियम चुकाने के बाद पांच-सात लाख रुपये का हेल्थ कवर लेना समझदारी की बात है.

समझें, फिर आगे बढ़ें

हेल्थ प्लान लेने से पहले उसकी शर्त को ध्यान से समझें. अगर खुद पढ़कर समझ नहीं आ रहा हो तो किसी जानकर की मदद लें. ऑनलाइन साईट पर तुलना करने की और सभी कंपनियों के प्लान की डीटेल जानकारी उपलब्ध है. हेल्थ पॉलिसी ध्यान से हर क्लॉज को समझें, फिर प्रीमियम चुकाएं. गंभीर बीमारी, पहले से मौजूद बीमारी और एक्सीडेंट के मामले में कंपनी की देनदारी को समझकर प्लान खरीदें.

जल्द खरीदने से फायदा

हेल्थ कवर के मामले में कहा जाता है कि जल्द कवर लेंगे तो कम प्रीमियम चुकाना पड़ेगा. अगर आप 40 साल की उम्र से पहले कवर लेते हैं तो आपको बिना शर्त के अधिकतम फायदा मिल सकता है. युवाओं को आमतौर पर बीमारियां कम होती हैं. इस लिहाज से बीमा देने वाली कंपनियां उनके लिए प्रीमियम कम रखती हैं. हर साल इसे समय से रिन्यू करते रहने से आपको नो क्लेम बोनस का लाभ मिलता रहेगा. एक मध्य आय वर्ग के शादीशुदा व्यक्ति को कम से कम पांच लाख रुपये का कवर लेना चाहिए.

पुरानी बीमारी का खुलासा

हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त बीमा कंपनी को अपने मेडिकल रिकॉर्ड के बारे में सही-सही जानकारी दें. अगर आप कुछ गलत जानकारी देते हैं तो स्वास्थ्य बीमा कंपनी आपको क्लेम देने से मना कर सकती है, जिससे इलाज के दौरान आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

क्या नहीं है शामिल?

हेल्थ पॉलिसी खरीदने से पहले यह समझ लें कि उसमें क्या शामिल नहीं है. कुछ पालिसी में राइडर के तहत गंभीर बीमारियों का कवर लिया जा सकता है तो कुछ में घरेलू वजहों से हुई दुर्घटना के मामले में कवरेज क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है नहीं मिलती. इन सब चीजों को क्लियर कर ही पॉलिसी खरीदें.

सब लिमिट वाली पॉलिसी नहीं

अस्पताल में कमरे के किराये की सीमा जैसी लिमिट से बचें. यह आपके हाथ में नहीं है कि आपके इलाज के दौरान आपको किस कमरे में रखा जाय. खर्च के लिए स्वास्थ्य बीमा कंपनी द्वारा कोई सब लिमिट तय किया जाना आपके लिए ठीक नहीं है. हेल्थ पॉलिसी खरीदते वक्त इस बात का ध्यान रखें और ऐसी पॉलिसी न लें.

पुरानी बीमारी की कवरेज नहीं

अगर आपने कोई क्रिटिकल इलनेस प्लान लिया है जिसमें लंबी अवधि तक इलाज की जरूरत है तो इस स्थिति में क्लेम करने का मतलब आपके प्रीमियम का लगातार बढ़ते जाना है. नयी पॉलिसी लेने के इस जाल में न फंसें. ऐसी पॉलिसी लें जिसे जीवन में किसी भी समय रिन्यू कराया जा सके.

पढ़ें: आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाने के ख़िलाफ़ मल्लिकार्जुन खड़गे का विरोध पत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की बैठक में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीबीआई निदेशक को पद से हटाने के कदम का विरोध किया. The post पढ़ें: आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाने के ख़िलाफ़ मल्लिकार्जुन खड़गे का विरोध पत्र appeared first on The Wire - Hindi.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की बैठक में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है ने सीबीआई निदेशक को पद से हटाने के कदम का विरोध किया.

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे. (फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: आलोक वर्मा के भविष्य पर विचार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की बैठक में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीबीआई निदेशक को पद से हटाने के कदम का विरोध किया.

चयन समिति ने वर्मा को पद से हटाने का फैसला किया. दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को इस पद पर बहाल किया था. सूत्रों के अनुसार बैठक के दौरान समिति के सदस्य खड़गे ने कहा कि वर्मा को दंडित नहीं किया जाना चाहिए और उनका कार्यकाल 77 दिन के लिए बढ़ाया जाना चाहिए. इस अवधि के लिये वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया था.

यह दूसरा मौका है जब खड़गे ने वर्मा को पद से हटाने पर आपत्ति जताई. तीन सदस्यीय समिति में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के तौर पर जस्टिस एके सीकरी भी शामिल थे.

सूत्रों के अनुसार बैठक के दौरान जस्टिस सीकरी ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कुछ आरोप हैं, इस पर खड़गे ने कहा, ‘आरोप कहां हैं’

कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में कहा, ‘आलोक वर्मा को उनका पक्ष रखने का मौका दिए बिना पद से हटाकर प्रधानमंत्री मोदी ने एकबार फिर दिखा दिया है कि वह जांच–चाहे वह स्वतंत्र सीबीआई निदेशक से हो या संसद या जेपीसी के जरिए– को लेकर काफी भयभीत हैं.’

वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से हटाया गया. इसके साथ ही एजेंसी के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई का सामना क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है करने वाले वह सीबीआई के पहले प्रमुख बन गए हैं.

यहां पढ़ें मल्लिकार्जुन खड़गे का विरोध पत्र:

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1979 बैच के आईपीएस अधिकारी वर्मा बुधवार को ड्यूटी पर लौटे थे. एक दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने कुछ शर्तो के साथ उनकी वापसी का मार्ग प्रशस्त किया था और सीबीआई प्रमुख का चयन करने वाली तीन सदस्यीय समिति से एक सप्ताह में उनके पद पर बने रहने क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है के बारे में फैसला करने के लिए कहा था.

आलोक वर्मा का दो वर्षों का निर्धारित कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त होने वाला था. अधिकारियों ने बताया कि वर्मा को सीबीआई प्रमुख पद से हटाने क्या विदेशी मुद्रा बाजार दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है का निर्णय दो दिनों में उच्चाधिकार समिति की दूसरी बार यहां हुई बैठक लिया गया.

वर्मा को केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत दमकल सेवा, नागरिक रक्षा और होमगार्ड महानिदेशक के पद पर तैनात किया गया है. सीबीआई का प्रभार अतिरिक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को दिया गया है.

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