ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं

बायबिट ने व्यापक बाजार के महत्व के आधार पर बाजार निर्माताओं और कॉर्पोरेट ग्राहकों को मजबूत करने में मदद करने का निर्णय लिया है। बायबिट को उम्मीद है कि प्रोत्साहन पैकेज एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा और पूरे उद्योग में अधिक स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करते हुए उद्योग-व्यापक वसूली को चलाने में मदद करेगा।
इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म
वित्त में, एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जिसे ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के रूप में भी जाना जाता है , एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसका उपयोग वित्तीय उत्पादों के लिए एक वित्तीय मध्यस्थ के साथ नेटवर्क पर ऑर्डर देने के लिए ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं किया जा सकता है । विभिन्न वित्तीय उत्पादों का व्यापार मंच द्वारा, एक वित्तीय मध्यस्थ के साथ संचार नेटवर्क पर या सीधे व्यापार मंच के प्रतिभागियों या सदस्यों के बीच किया जा सकता है। इसमें स्टॉक , बॉन्ड , मुद्राएं , कमोडिटी , डेरिवेटिव और अन्य जैसे उत्पाद शामिल हैं, जिसमें वित्तीय मध्यस्थ, जैसे दलाल , बाजार निर्माता शामिल हैं, निवेश बैंक या स्टॉक एक्सचेंज । इस तरह के प्लेटफॉर्म इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग को किसी भी स्थान से उपयोगकर्ताओं द्वारा किए जाने की अनुमति देते हैं और पारंपरिक फ्लोर ट्रेडिंग के विपरीत खुले चिल्लाहट और टेलीफोन आधारित ट्रेडिंग का उपयोग करते हैं । कभी-कभी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म शब्द का इस्तेमाल ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं अकेले ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर के संदर्भ में भी किया जाता है।
बायबिट ने कॉर्पोरेट ग्राहकों के लिए $100 मिलियन सहायता कोष की घोषणा की
दुबई, संयुक्त अरब अमीरात, 24 नवंबर, 11 - दुनिया के तीसरे सबसे अधिक देखे जाने वाले क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज बाईबिट ने क्रिप्टोक्यूरेंसी उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण समय के दौरान क्रिएटर्स मार्केट मेकर का समर्थन करने के लिए $2022 मिलियन का फंड लॉन्च किया है।
यह फंड बायबिट के समर्पित कॉर्पोरेट ग्राहकों को $10 मिलियन तक ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं की सहायता देगा, क्योंकि हाल की घटनाओं के परिणाम जटिल बने हुए हैं।
बायबिट ने कहा कि यह किसी भी कॉर्पोरेट ग्राहकों को समर्थन देने के लिए धन का उपयोग करेगा, जिन्हें इसकी आवश्यकता है। ऑफ़र मौजूदा ग्राहकों के साथ-साथ कॉर्पोरेट ग्राहकों के लिए खुला है जो क्रिप्टोक्यूरेंसी ट्रेडिंग के लिए नए हैं। सपोर्ट फंड के अलावा, बायबिट ग्राहकों के सत्यापित केवाईबी (अपने व्यवसाय को जानें) उपयोगकर्ता बनने के बाद सहायता के लिए समर्पित खाता प्रबंधक भी प्रदान करता है।
ओवर ऑल ट्रेडिंग (Over all trading)
भारत में डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट (derivative instrument) की ट्रेडिंग निर्धारित नियम और कानून के तहत की जाती है। पूरी ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज (stock exchange) के माध्यम से होती है, जहां खरीदी बिक्री कॉन्ट्रैक्ट (contract) ऑफर ट्रेडिंग की सारी प्रक्रिया है। ऑटोमेटिक कंप्यूटराइज टर्मिनल (automatic computerized terminal) के माध्यम से होती है। ऑटोमेटिक प्रक्रिया पर ऑनलाइन निगरानी (Surveillance) भी ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं रखी जाती है। जिसकी वजह से पूरी ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं पारदर्शिता होती है।
डेरिवेटिव मार्केट में फ्यूचर कांट्रैक्ट (futures contract) की व्यवस्था भी उपलब्ध है। जिसकी वैलिडिटी (validity) 3 महीने की होती है ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं और हर महीने की शुरुआत में एक नया फ्यूचर कांट्रैक्ट अस्तित्व में आता है और प्रत्येक माह के अंतिम गुरुवार (Thursday) को एक फीचर कांट्रैक्ट समाप्त होता है जो 3 माह पूर्व शुरू हुआ था।
सदस्यता(Membership)
डेरिवेटिव मार्केट में निवेश करने के लिए किसी भी व्यक्ति को एक्सचेंज (exchange) के फ्यूचर तथा ऑप्शन साइट की सदस्यता लेनी आवश्यक है। इसमें क्लीयरिंग (clearing) मेंबर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। क्योंकि यह आपके किए गए सोदे (deal) के निपटान करते हैं और रिस्क मैनेजमेंट (risk management) तथा सोदे (deal) के सेटलमेंट करते हैं।
आसान और त्रुटिरहीत क्लीयरिंग (flawless clearing) पूरे ट्रेडिंग सिस्टम को मजबूत आधार प्रदान करती है। क्लीयरिंग मेंबर प्रत्येक ट्रेडिंग दिवस (trading ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं day) के समापन के पश्चात अपने ट्रेडिंग मेंबर की ओपन पोजीशन (position) तैयार करता है। ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं इससे विभिन्न ट्रेडिंग मेंबर के एप्लीकेशन पता चलते हैं। उसमें कस्टोडियल पार्टिसिपेंट (custodial participant) के लिए की गई क्लीयरिंग भी शामिल होती है।
ट्रेडिंग मेंबर दो प्रकार के होते सोदे (deal) करता है एक वह अपने स्वयं के लिए और दूसरा वह अपने क्लाइंट (client) के लिए करता है। किसी भी सोदे के लिए ट्रेडिंग मेंबर को यह दिखाना आवश्यक है कि वह सौदा किस प्रकार का है, और क्लीयरिंग मेंबर इन दोनों प्रकार के सौदों की फाइल पोजीशन प्रत्येक ट्रेडिंग दिवस के आखरी में तैयार करता है।
सेटलमेंट (settlement)
ओपन पोजीशन (open position) के द्वारा जरूरतों तथा स्थिति का जायजा मिलने के पश्चात सेटलमेंट (settlement) की बारी होती है। सेटलमेंट (settlement) से तात्पर्य यह है जो पोजीशन ओपन होती है। उनको एडजेस्ट (adjust) करना होता है डेरिवेटिव मार्केट में फ्यूचर तथा ऑप्शन सौदों को केस एडजस्टमेंट के द्वारा सेटल किया जाता है।
बाकी सिक्योरिटी (security) के आदान-प्रदान के दौरान सेटलमेंट नहीं होता, अपितु इन सौदों की कीमत के अनुसार राशि का एडजस्टमेंट (adjustment) किया जाता है।