अतिरिक्त आय

अतिरिक्त आयकर आयुक्त, केंद्रीय किराया – 3, एयर इंडिया बिल्डिंग, नरीमन पॉइंट, मुंबई के वाहन किराए पर लेने के लिए निविदा आमंत्रित करने का नोटिस
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उत्तराखंड: यहां कास्तकारों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बना रेशम कीटपालन (Silkworm rearing), 40 हजार कोकून का किया उत्पादन
बागेश्वर, 26 मई 2020
बागेश्वर जिले के कपकोट विकासखंड के अनुसूचित जनजाति गांवों में कास्तकारों ने इस बार 40 हजार कोकून का उत्पादन किया है. ग्रामीणों ने खेती व अन्य कार्यों के साथ रेशम कीटपालन (Silkworm rearing) का भी कार्य किया. जिससे उन्हें अच्छी आय अर्जित हो रही है.
दरअसल, उत्तराखंड ओक तसर विकास परियोजना (टीएसपी) के तहत रेशम निर्देशालय देहरादून के निर्देशन में कार्यदायी संस्था संजीवनी विकास एवं जन कल्याण समिति, रानीखेत द्वारा विकासखंड कपकोट के अनुसूचित जनजाति गांवों में ओक तसर रेशम कीटपालन (Silkworm rearing) का कार्य कराया जा रहा है.
संस्था सदस्यों ने बताया कि यह रेशम कीट (Silkworm rearing) 50 से कम दिन में यह कोकून बना कर तैयार कर देता है. उन्होंने कहा कि रेशम कीटपालन (Silkworm rearing) से पहाड़ से पलायन रोकने में मदद मिल सकती है और लोग इससे अच्छी आय अर्जित कर सकते है.
कपकोट क्षेत्र के 5 गांवों के 25 से 30 कास्तकार वर्तमान में इस कार्य से जुड़े हुए है. कीटपालन (Silkworm rearing) के साथ सभी गांवों में मनरेगा के तहत मणीपुरी बांज के पौधों का रोपण किया जा रहा है. ताकि इन पेड़ों पर भविष्य में अतिरिक्त आय कीटनालन का कार्य किया जा सकें. मणीपुरी बांज का पौधा काफी तेजी से बढ़ता है. कीटपालन के साथ ही यह पौंधा जलस्रोतों को रिर्चाज करने व भू—स्खलन रोकने में भी कारगर है.
ओक तसर एक कृषि आधारित ग्रामीण कुटीर उद्योग है. जिस में कम समय पर फसल तैयार हो जाती है. स्थानीय बांज, मणीपुरी बांज, खरसु, मोरू के पत्तों पर कीट को पाला जाता है. कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मार्च से अप्रैल व ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मई व जून माह में कीटपालन (Silkworm rearing) का कार्य किया जा सकता है. संस्था की ओर से किसानों को अतिरिक्त आय कीटपालन, पौंधा रोपण से सम्बंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी कराये जाते है.
संस्था की ओर से संतोष जोशी, विनोद सिंह घुघतियाल, दीवान सिंह कपकोटी, कैलाश सिंह मर्तोलिया द्वारा यह कार्य कराया गया.
रबी फसलों का एमएसपी 21 प्रतिशत तक बढ़ा, किसानों को होगी 62,635 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय
नई दिल्ली, तीन अक्टूबर (भाषा) सरकार ने बुधवार को गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) छह प्रतिशत बढ़ाकर 1,840 रुपये प्रति क्विन्टल निर्धारित किया और रबी की अन्य फसलों के एमएसपी में 21 प्रतिशत तक की वृद्धि करने की घोषणा की। इस कदम से किसानों को जाड़े के मौसम में बोई जाने वाली फसलों के लिए 62,635 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होने का अनुमान है। उम्मीद है कि इससे खेती की लागत ऊंची होने अतिरिक्त आय और बिक्री से प्राप्ति नीची रहने की किसानों की शिकायत कुछ कम करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली आथिर्क मामलों
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आन्तरिक विस्थापितों की सहायता के लिए, विकास-केन्द्रित समाधानों की पुकार
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने मंगलवार को जारी अपनी एक नई रिपोर्ट में जलवायु, हिंसक टकराव और संकट की वजह से अपना घर छोड़कर जाने को मजबूर होने वाले लोगों अतिरिक्त आय अतिरिक्त आय की सहायता के लिये, तत्काल कार्रवाई का आग्रह किया है. संगठन ने कहा है कि विश्व भर में आन्तरिक विस्थापितों की रिकॉर्ड संख्या के मद्देनज़र, केवल मानवीय सहायता के ज़रिये इस चुनौती पर पार नहीं पाया जा सकता है.
यह पहली बार है जब अपना घर छोड़कर जाने के लिये मजबूर होने वाले लोगों की संख्या इस वर्ष 10 करोड़ से भी ज़्यादा हो गई.
इनमें से अधिकांश, पाँच करोड़ 91 लाख लोग पिछले अनेक वर्षों या दशकों से अपने देशों के भीतर विस्थापित हैं.
Only long-term development actions can reverse the record levels of #InternalDisplacement resulting arising from conflict, violence, climate change and disasters.
@UNDP presents development solutions needed to turn the tide for #IDPs in new report. 👉
https://t.co/qZWEjb91Aw https://t.co/MXp89pImBo
घरेलू विस्थापितों को अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने, उपयुक्त व शिष्ट रोज़गार ढूंढने और आय का स्थाई स्रोत पाने समेत अनेक अन्य चुनौतियों से जूझना पड़ता है.
यूएन विकास कार्यक्रम ने उनकी व्यथा को एक ‘अदृश्य संकट’ क़रार दिया है, चूँकि यह कभी-कभार ही समाचारों में दिखाई देता है.
जलवायु परिवर्तन के कारण 21 करोड़ 60 लाख लोगों को, इस सदी अतिरिक्त आय के मध्य तक अपने मूल स्थानों से अन्य इलाक़ों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.
इसके मद्देनज़र, रिपोर्ट में दीर्घकालीन विकास समाधानों की पैरवी की गई है ताकि आन्तरिक विस्थापन के इन रुझानों को पलटा जा सके.
यूएनडीपी प्रशासक एखिम स्टाइनर ने कहा कि हाशिए पर जीवन गुज़ार रहे आन्तरिक विस्थापितों की स्थिति में सुधार के लिए अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता है.
स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, सामाजिक संरक्षा और रोज़गार अवसरों समेत अन्य अहम सेवाओं की सुलभता के ज़रिये नागरिकों के तौर पर उनके पूर्ण अधिकार सुनिश्चित किए जाने होंगे.
“अति-महत्वपूर्ण मानवीय सहायता के समानान्तर, स्थाई शान्ति, स्थिरता और पुनर्बहाली की दिशा में रास्तों के लिये परिस्थितियाँ तैयार करने में यह मज़बूत विकास-केन्द्रित उपाय अहम होगा.”
ठोस कार्रवाई पर बल
रिपोर्ट में दो हज़ार 653 आन्तरिक विस्थापितों और उनके आठ मेज़बान देशों के समुदायों में कराए गए एक सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी का उल्लेख किया गया है.
इनमें कोलम्बिया, इथियोपिया, इंडोनेशिया, नेपाल, नाइजीरिया, पापुआ न्यू गिनी, सोमालिया और वानुआतु हैं.
एक-तिहाई से अधिक आन्तरिक विस्थापितों ने बताया कि वे बेरोज़गार हो गए हैं, जबकि 70 प्रतिशत से अधिक के पास अपनी घर-परिवार की ज़िम्मेदारियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है.
एक-तिहाई ने बताया कि अपने देश से दूर होने के बाद उनका स्वास्थ्य बद से बदतर हुआ है.
रिपोर्ट में ज़ोर देकर कहा गया है कि आन्तरिक विस्थापन पर पार पाना, सरकारों द्वारा महत्वपूर्ण विकास समाधान लागू किए जाने पर निर्भर करेगा.
इस क्रम में अधिकारों व बुनियादी सेवाओं के लिये समान सुलभता सुनिश्चित करना, सामाजिक-आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना, सुरक्षा बहाल करना और सामाजिक जुड़ाव का निर्माण करना अहम होगा.
यूएन विकास कार्यक्रम ने इस विषय में बेहतर डेटा और शोध की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है.
यूएन एजेंसी ने मानवीय सहायता प्रयासों से हटकर विकास के लिये कार्रवाई में सरकारों की मदद करने और प्रगति का आकलन करने के लिये अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है.