रेखांकन और चार्ट

प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट

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निवेश से पहले समझें फाइनैंशल स्टेटमेंट

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रिटेल इन्वेस्टर्स अक्सर टीवी पर आने वाले एक्सपर्ट्स या किसी दोस्त-रिश्तेदार के कहने पर शेयरों में पैसा लगाते हैं, जिसकी वजह से उन्हें बाद में पछताना पड़ता है। वे खुद रिसर्च नहीं करते। इक्विटी इन्वेस्टमेंट को समझने के लिए पहले फ़ाइनैंशल स्टेटमेंट की समझ बनानी चाहिए। शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के फाइनैंशल स्टेटमेंट्स उनकी वेबसाइट और स्टॉक एक्सचेंजों पर अवेलेबल होते हैं। इसके लिए फाइनैंशल स्टेटमेंट में दिए जाने वाले कई टर्म्स और उनके असर के बारे में जानकारी रखना जरूरी है।

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इनकम फ्रॉम ऑपरेशंस
फाइनैंशल स्टेटमेंट में यह सबसे जरूरी चीज होती है। कंपनी को अपने कामकाज से कितनी आमदनी होती है, इसका पता इससे चलता है। मैन्युफैक्चरिंग या ट्रेडिंग कंपनियों के लिए इसका पता सेल्स से चलता है। वहीं, सर्विस कंपनी के लिए ग्रॉस रिसीट फॉर प्रवाइडिंग सर्विसेज से इसकी जानकारी मिलती है। इस आइटम से कंपनी के प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट साइज का पता चलता है। अगर कंपनी मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेडिंग दोनों काम करती है तो इससे अलग-अलग आंकड़ों पर नजर डालने से यह स्पष्ट होता है कि उसका ध्यान किस पर ज्यादा है।

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इनकम के दूसरे साधन
कंपनी को नॉन-कोर ऐक्टिविटी से जो आमदनी होती है, उसे प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट अदर इनकम कहते हैं। कंपनी की ऑपरेशनल इनकम की तुलना में अदर इनकम कितनी है, इससे भी कंपनी के फोकस का पता चलता है। किसी अच्छी कंपनी की ऑपरेशनल इनकम के मुकाबले अदर इनकम कम होनी चाहिए। वहीं, अगर कोर इनकम की तुलना में अदर इनकम में लगातार बढ़ोतरी होती है तो इससे पता चलता है कि इंडस्ट्री मंदी के दौर में है या वह अपना स्केल कम कर रही है।

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एक्सेप्शनल या एक्स्ट्राऑर्डिनरी आइटम्स
एक्सेप्शनल या एक्स्ट्राऑर्डिनरी आइटम्स के बारे में बताना कंपनी के लिए अनिवार्य नहीं होता, लेकिन फाइनैंशल स्टेटमेंट्स में नोट्स के तहत इनकी प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट जानकारी दी जाती है। किसी अंडरटेकिंग या बड़े फिक्स्ड ऐसेट्स इन्वेस्टमेंट्स को बेचने से होने वाले नफा-नुकसान का कंपनी के फ्यूचर से लेना-देना नहीं होता। इसी तरह से, लेबर यूनियन के साथ बकाया सैलरी पर निगोशिएशन को प्रॉफिट ऐंड लॉस अकाउंट में दिखाया जाता है। हालांकि, इनकम फ्रॉम रेगुलर इन्वेस्टमेंट से भविष्य में कमाई होती है। इसलिए ऐनालिसिस में उस पर ध्यान देना जरूरी है।

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रॉ मटीरियल कॉस्ट
मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट लिए प्रॉफिट और लॉस अकाउंट में यह सबसे जरूरी चीज होती है। सेल्स के मुकाबले कच्चे माल का रेशो अधिक रहने का मतलब यह है कि उसके दाम में उतार-चढ़ाव का कंपनी के फायदे पर असर पड़ेगा। वहीं, जो कंपनियां ऐग्रिकल्चर प्रॉडक्ट्स का कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल करती हैं, उनके बिजनस पर मॉनसून के नॉर्मल रहने या फेल होने का असर होता है। इसलिए कच्चे माल के बारे में समझ से आपकी कंपनी की समझ बेहतर होती है।

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एंप्लॉयी कॉस्ट
यह कॉस्ट का जरूरी हिस्सा होता है। खासतौर पर सर्विस कंपनियों के लिए। सैलरी सीजनल नहीं होती, इसलिए इसमें वौलेटिलिटी नहीं देखी जाती। आप पिछले साल से इस कॉस्ट की तुलना करके समझ सकते हैं कि कंपनी पर वेज हाइक का कितना प्रेशर पड़ रहा है। अगर किसी कंपनी की सैलरी कॉस्ट में सालाना आधार पर बड़ी बढ़ोतरी होती है तो उसी रेशो में उसकी इनकम भी बढ़नी चाहिए।

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डेप्रिसिएशन
बुक्स में इस मद से जितनी रकम काटी जाती है, उससे यह पता चलता है कि कंपनी को बिजनस के लिए कितनी पूंजी की जरूरत पड़ रही है। मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए डेप्रिसिएशन कॉस्ट सर्विस कंपनियों की तुलना में अधिक होती है। डेप्रिसिएशन के चलते कंपनी से तुरंत कैश आउटफ्लो नहीं होता। अगर किसी इंडस्ट्री में डेप्रिसिएशन कॉस्ट अधिक है तो इसका मतलब यह है कि उसमें नई कंपनी का उतरना आसान नहीं है क्योंकि उसे बिजनस करने के लिए बड़ी रकम लगानी पड़ेगी।

SBI Home Loan के लिए कर रहे हैं अप्लाई! क्या आपके ये डॉक्यूमेंट्स हैं तैयार? यहां नोट कर लीजिए पूरी लिस्ट

SBI Home Loan: सैलरी पाने वालों और बिजनेस करने वालों के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स में कुछ अंतर होता है. अगर पहले से सारे डॉक्यूमेंट्स (SBI Home Loan list of documents) तैयार कर अप्लाई करेंगे तो लोन जल्दी अप्रूव हो प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट जाएगा.

सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर मजबूत होने पर सस्ती दरों पर होम लोन मिल जाता है. (फोटो - Pixabay/ ज़ी बिज़नेस)

SBI Home Loan: घर का सपना पूरा करने के लिए कई बार होम लोन भी लेना पड़ता है. अगर आप भारतीय स्टेट बैंक से होम लोन (State bank home loan) लेने की योग्यता रखते हैं और इसके लिए अप्लाई करने की सोच रहे हैं तो पहले कुछ जरूरी होमवर्क कर लेना चाहिए. क्या आपने सोचा है कि जब होम लोन (Home Loan) के लिए आप अप्लाई करेंगे तो किन डॉक्यूमेंट्स (SBI Home Loan list of documents) की जरूरत पड़ेगी. जी हां, यह एक बेहद जरूरी काम है. कम्प्लीट डॉक्यूमेंट के बिना आप अप्लाई ही नहीं कर पाएंगे. ऐसे में जरूरी डॉक्यूमेंट की तैयारी पहले ही कर लेने में समझदारी है. बैंक के पैमाने पर कोई भी डॉक्यूमेंट कम रह जाने से होम लोन मिलने में परेशानी आ सकती है. सैलरी पाने वालों और बिजनेस करने वालों के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स में कुछ अंतर होता है.

सैलरी वालों के लिए SBI Home Loan के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स

एसबीआई की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, होम लोन (SBI Home Loan) के लिए अप्लाई करने में निम्न डॉक्यूमेंट्स (SBI Home Loan list of documents) आपके पास तैयार रहने चाहिए.
लोन एप्लीकेशन: अच्छी तरह और पूरा भरा हुआ लोन एप्लीकेशन फॉर्म और तीन पासपोर्ट साइज फोटो
आइडेंटिटी प्रूफ (कोई भी एक): पैन/पासपोर्ट/ड्राइविंग लाइसेंस/वोटर आईडी कार्ड
रेंसिडेंशियल प्रूफ/पता (कोई भी एक): टेलीफोन बिल/बिजली बिल/पानी बिल/पाइप गैस की हाल की प्रति पासपोर्ट/ड्राइविंग लाइसेंस/आधार कार्ड का बिल या कॉपी
इनकम प्रूफ: करेंट सैलरी स्लिप या सैलरी सर्टिफिकेट, पिछले 2 सालों के फॉर्म 16 की कॉपी या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा स्वीकार किया गया पिछले दो वित्तीय वर्ष के आईटी रिटर्न की कॉपी.
प्रोपर्टी पेपर:

  • कंस्ट्रक्शन की परमिशन (जहां लागू हो)
  • रजिस्टर्ड एग्रीमेंट ऑफ सेल (केवल महाराष्ट्र के लिए)/अलॉटमेंट लेटर/स्टाम्प्ड एग्रीमेंट ऑफ सेल
  • ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (रेडी टू मूव प्रॉपर्टी के मामले में)
  • शेयर सर्टिफिकेट (सिर्फ महाराष्ट्र के लिए), मेंटेनेंस बिल, बिजली बिल, प्रॉपर्टी टैक्स रसीद
  • प्रोजेक्ट अप्रूवल की कॉपी (जेरोक्स ब्लूप्रिंट) और बिल्डर का रजिस्टर्ड डेवलपमेंट एग्रीमेंट कन्वेन्स डीड (नई संपत्ति के लिए)
  • पेमेंट रसीदें या बैंक अकाउंट डिटेल जो बिल्डर/विक्रेता को किए गए पेमेंट को दर्शाता है

अन्य डॉक्यूमेंट: पिछले छह महीने का बैंक स्टेटमेंट(व्यक्तिगत), अगर पहले का कोई लोन है तो उस बैंक के लोन अकाउंट का एक साल का स्टेटमेंट

home loan


खुद का कारोबार करने वालों के लिए SBI Home Loan के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स

नॉन-सैलरी या खुद का बिजनेस करने वालों को भी एसबीआई (SBI) होम लोन ऑफर करता है. इन्हें भी उपर्युक्त डॉक्यूमेंट्स (SBI Home Loan list of documents) में से कुछ को छोड़कर सैलरी वालों की तरह डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है, लेकिन इन्हें कुछ अलग डॉक्यूमेंट्स भी सबमिट करने होते हैं. जैसे बिजनेस या कारोबार का सर्टिफिकेट, पिछले 3 साल के आईटी रिटर्न, पिछले प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट 3 सालों की बैलेंस शीट और प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट स्टेटमेंट, बिज़नेस लाइसेंस संबंधी जानकारी (या समकक्ष), TDS सर्टिफिकेट (फॉर्म 16ए, अगर लागू हो), क्वालिफिकेशन का सर्टिफिकेट (सीए/ डॉक्टर और अन्य पेशेवरों के लिए) आदि.

8.40 प्रतिशत है शुरुआती ब्याज

अगर आपका सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर शानदार है तो आप फिलहाल 8.40 प्रतिशत ब्याज दर (sbi home loan interest rate) पर भी होम लोन ले सकते हैं. सभी डॉक्यूमेंट प्रोड्यूस करने पर आपको आसानी से होम लोन (SBI Home Loan) मिल सकता है. हां, थोड़ा कम होगा सिबिल स्कोर तो आपको महंगे रेट पर होम लोन मिलेगा और अगर स्कोर बेहद खराब है तो आपको लोन मिलने की संभावना बेहद कम रह जाएगी. भारतीय स्टेट बैंक यानी एसबीआई फिलहाल Home Loan पर प्रोसेसिंग फीस भी नहीं ले रहा है.

कॉर्पोरेट मामले के मंत्रालय ने योग्य ठहराए गए तीन लाख से अधिक निदेशकों को दिया राहत; 31 मार्च तक बकाया वित्तीय स्टेटमेंट फाइल करने की इजाजत मिली [परिपत्र पढ़े]

कॉर्पोरेट मामले के मंत्रालय ने योग्य ठहराए गए तीन लाख से अधिक निदेशकों को दिया राहत; 31 मार्च तक बकाया वित्तीय स्टेटमेंट फाइल करने की इजाजत मिली [परिपत्र पढ़े]

समय पर वित्तीय स्टेटमेंट नहीं फाइल करने के कारण अयोग्य ठहराए गए तीन लाख से अधिक निदेशकों को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने एक मौक़ा और देने का फैसला किया है। कंपनी अधिनियम की धारा 164 (2) के अधीन कोंडोनेशन ऑफ़ डिले स्कीम, 2018 शुरू की गई है जिसके तहत मंत्रालय ने अपना वित्तीय स्टेटमेंट फाइल नहीं कर पाने वाली कंपनियों को ऐसा करने के लिए 31 मार्च तक का समय दिया है।

काले धन और गैरकानूनी फंड की आवाजाही से निपटने के लिए वर्ष 2013-2014 से 2015-16 के बीच अपना वार्षिक वित्तीय स्टेटमेंट समय पर नहीं फाइल कर पाने वाली कंपनियों के निदेशक बोर्ड के लगभग 309614 निदेशकों को अक्टूबर 2017 के लिए मंथली समरी ऑफ़ द एमसीए के अनुरूप अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसके अलावा 2,24,733 कंपनियों को अधनियम 2013 की धारा 248 और धारा 455 के अधीन निष्क्रिय बताकर रजिस्टर से निकाल दिया गया है। इस कार्रवाई के बाद वित्त मंत्रालय ने इन कंपनियों के खाते पर क़ानून के अनुरूप प्रतिबंध लगा दिया।

इन कंपनियों की चल-अचल संपत्तियों की खरीद-बिक्री पर भी प्रतिबन्ध लगा दिए गए हैं।

उपरोक्त कार्रवाई के कारण उद्योग और कार्रवाई झेल रही कंपनियों के निदेशकों की ओर से सरकार को कहा गया कि वह उनको अपने कारोबार को सामान्य बनाने का एक और मौक़ा दे। कुछ प्रभावित लोगों ने तो विभिन्न उच्च न्यायालयों में याचिकाएं भी दायर की हैं।

इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अब इन कंपनियों को 31 मार्च तक अपना बकाया वित्तीय स्टेटमेंट फाइल करने का मौक़ा देने का फैसला किया है।

स्कीम के तहत जिन दस्तावेजों को फाइल करने की अनुमति दी गई है वे हैं वार्षिक रिटर्न, बैलेंस शीट, फाइनेंसियल स्टेटमेंट और प्रॉफिट एंड लॉस एकाउंट, कंप्लायंस सर्टिफिकेट और ऑडिटरों को नियुक्त करने की सूचना।

इस स्कीम के तहत कंपनियों के डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (डीआईएन) को अस्थाई तौर पर दुबारा सक्रिय कर दिया जाएगा ताकि कंपनी के डायरेक्टर उपरोक्त दस्तावेज ऑनलाइन जमा कर सकें। इन लोगों को अपना स्टेटमेंट देरी से फाइल करने के लिए फाइन के अलावा माफी दिए जाने के लिए 30 हजार का अतिरिक्त शुल्क प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट भी देना होगा।

हालांकि जिन कंपनियों का पंजीकरण समाप्त कर दिया गया है और उन्होंने सारे दस्तावेज जमा करा दिए हैं और रजिस्ट्रेशन बहाल करने का आवेदन किया है, उनको यह अनुमति राष्ट्रीय कंपनी क़ानून ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के आदेश के बाद ही इसकी अनुमति दी जाएगी।

अंतिम दो दिन दें केवल रीविजन पर ध्यान

अंतिम दो दिन दें केवल रीविजन पर ध्यान

इंदौर। मध्यप्रदेश राज्य लोकसेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा के केवल दो दिन शेष हैं। 9 मई को होने वाली इस परीक्षा को लेकर स्टूडेंट्स की तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। ज्यादातर प्रतिभागी इस बात को लेकर उलझन में है कि आखिरी दो दिन की स्ट्रेटेजी क्या हो। इस बारे में विशेषज्ञों का प्रतिभागियों से यही कहना है कि परीक्षा के दो दिन पहले सही तरह से किया गया रीविजन परिणाम पर बड़ा प्रभाव डालता है।

उल्लेखनीय है कि इस बार प्रारंभिक परीक्षा में प्रदेश के 2 लाख 65 हजार स्टूडेंट्स शामिल हो रहे हैं। प्रदेशभर में इसके 250 से अधिक परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। तैयारी के बारे में विषय विशेषज्ञ ओपी तिवारी के अनुसार परीक्षा के इस अंतिम दौर में जनरल स्टडी और एप्टीट्यूड का विशेष ध्यान रखना चाहिए।अब केवल नोट्स पर ध्यान देना होगा। जनरल स्टडी में 8 माह का राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय समसामयिकी जरूर पढ़ें। विज्ञान, इतिहास, भूगोल और संविधान विषय को दोहराएं। इसके अलावा एसटीएससी एक्ट के सभी फंडामेंटल पर भी ध्यान दें। एप्टीट्यूड के पेपर में ज्यादातर प्रश्न स्टेटमेंट एजम्प्श्न, स्टेटमेंट एक्शन, स्टेटमेंट ऑरग्यूमेंट, पजल्स, डेफिनेटली ट्रू डेफीनेटली फॉल्स स्टेटमेंट, डिसिजन मेकिंग के आते हैं। ऐसे में इनकी प्रैक्टिस को नजरअंदाज नहीं करें। इसके अलावा अर्थमेटिक में प्रॉफिट एंड लॉस, प्रतिशत, एज, एवरेज, बेसिक नंबर सिस्टम, सिम्प्लीफिकेशन, रेश्यो प्रपोशन, पार्टनरशिप के सूत्र याद रखें। डेटा इंटरप्रिटेशन के अक्सर 8 प्रश्न आते हैं इसलिए पाईचार्ट और बारचार्ट को नजरअंदाज न करें।

एग्जाम सेंटर जाने से पहले ये रखें ध्यान

* एग्जाम सेंटर में एडमिट कार्ड पर फोटो लगाकर ले जाएं।

* फोटो लगे एडमिट कार्ड को हो सके तो अटेस्टेड करवा लें।

* एडमिट कार्ड के साथ ओरिजनल वोटर आईडी कार्ड और उसकी फोटोकॉपी भी लेकर जाएं।

* निर्धारित समय से आधा घंटा पहले सेंटर पर पहुंचें।

* एग्जाम सेंटर कहां है और किस तरह पहुंचा जा सकता है प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट इसकी जानकारी परीक्षा के एक दिन पहले ही जुटा लें।

* परीक्षा ओएमआर बेस्ड होगी इसलिए गोले भरने के लिए जैल पेन के बजाय ब्लैक, ब्लू बॉल पेन और पेंसिल साथ ले जाएं।

* पेपर में एक जैसी इंक वाले पेन का ही प्रयोग करें इसलिए एक इंक के दो-दो पेन लेकर जाएं।

Share ka fundamental analysis kaise karen

कभी भी शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने से पूर्व फंडामेंटल एनालिसिस को समझना अति महत्वपूर्ण होता है। फंडामेंटल एनालिसिस शेयर मार्केट का आधार है। इसके अंतर्गत किसी भी कंपनी के वित्तीय डाटा की जांच करके शेयर की इन्ट्रिसिक वैल्यू को मापना होता है।

इसके अंतर्गत निवेशक कंपनी के वित्तीय डाटा की जांच कर कंपनी के शेयर का उचित मूल्य निकालता है तथा इसकी तुलना शेयर के वर्तमान मूल्य के साथ करता है।

इसमें निवेशक देखता है कि अगर शेयर का उचित मूल्य, शेयर के मार्केट मूल्य से ज्यादा है तो शेयर अंडरवैल्यूड होता है इसमें खरीददारी का मौका होता है।

इसके विपरीत अगर शेयर का उचित मूल्य, शेयर के मार्केट मूल्य से कम है तो शेयर की कीमत ओवरवैल्यूड है।

कंपनी के शेयर का उचित मूल्य निकालने हेतु हम कंपनी की ग्रोथ, कंपनी का बिजनेस, कंपनी का मैनेजमेंट आदि का अध्ययन करते हैं। यह सारी चीजें फंडामेंटल एनालिसिस के अंदर आती हैं।

फंडामेंटल एनालिसिस क्या है?

जब कोई भी शेयर कम अवधि हेतु खरीदते जाता है तो उसका टेक्निकल एनालिसिस करके खरीदा जाता है। इसके विपरीत यदि किसी शेयर को हम लंबी अवधि हेतु खरीद रहे हैं तो शेयर का फंडामेंटल एनालिसिस किया जाता है।

कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करने प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट हेतु हमको कंपनी की फाइनेंसियल ग्रोथ की जांच करनी होती है। इसके अंतर्गत कंपनी का प्रॉफिट लॉस स्टेटमेंट, कैश फ्लो, कंपनी के शेयर का PE रेश्यो, कंपनी के ऊपर कर्ज का अध्ययन किया जाता है।

उपरोक्त सभी तत्वों का अध्ययन करके हम कंपनी के शेयर की इंट्रेस्टिंग वैल्यू निकालते हैं। तथा शेयर का जो मूल्य हमारे द्वारा निकाला जाता है उसकी तुलना हम शेयर के वर्तमान मार्केट मूल्य से करते हैं।

फंडामेंटल एनालिसिस कैसे किया जाता है?

कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करने हेतु हमको निम्न डाटाओं का अध्ययन करना होगा

कंपनी की फाइनेंसियल रिपोर्ट।

कंपनी की पूर्ण बैलेंस शीट।

कंपनी का लॉस व प्रॉफिट।

कंपनी के अन्य प्रतिस्पर्धी।

कोई ऐसा समाचार जिससे भविष्य में कंपनी के ग्रोथ पर अच्छा या बुरा असर हो।

सरकार द्वारा लाया गया नियम जो कंपनी के बिजनेस को प्रभावित करता हो।

फंडामेंटल एनालिसिस के क्या फायदे हैं?

दोस्तों वर्तमान में हर व्यक्ति बिना मेहनत के जल्द से जल्द ज्यादा पैसा कमाना चाहता है। किसी बिजनेस चैनल या यूट्यूब पर शेयर टिप्स पाकर इन्वेस्ट करना आसान तो होता है, किंतु इसमें नुकसान की संभावना काफी ज्यादा होती है।

अगर फंडामेंटल एनालिसिस करके शेयरों को खरीदा जाता है तो नुकसान होने की संभावना काफी कम हो जाती है।

फंडामेंटल एनालिसिस करने से हमको कंपनी का भविष्य क्या है, इसका आभास हो जाता है। जिस कारण हम कंपनी के शेयर में सही समय में निवेश कर सकते हैं।

दोस्तों अगर आप भी चाहते हैं कि आपके दोस्त व परिवार वाले शेयर मार्केट में नुकसान ना खाएं तो आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और परिवार वालों में शेयर कीजिए।

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