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लाभ और बचत

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एलआईसी न्यू बीमा बचत (प्लान 816) की पूरी जानकारी (LIC New Bima Bachat in Hindi)

अगर मैं आपसे कहूं की आपके इंश्योरेंस प्लान की मेच्योरिटी के समय मिलने वाली राशि पर आपको टैक्स देना होगा, तो क्या आप ऐसे प्लान में निवेश करेंगे?

आज मैं ऐसे ही एक जीवन बीमा प्लान के बारे में बात करूंगा|

आज चर्चा करेंगे एलआईसी न्यू बीमा बचत (LIC New Bima Bachat) प्लान के बारे में|

एलआईसी न्यू बीमा बचत (प्लान 816) LIC New Bima Bachat in Hindi

एलआईसी न्यू बीमा बचत एक सिंगल प्रीमियम प्लान है। इसका मतलब की आपको केवल एक बार (पालिसी लेते समय) ही प्रीमियम देना होता है|

साथ ही एलआईसी न्यू बीमा बचत एक सहभागी पारंपरिक जीवन (traditional non-linked participating plan) बीमा योजना है।

एलआईसी न्यू बीमा बचत प्लान एक मनी बेक (money back) प्लान हैं जिसमें आपको समय समय पर कुछ राशि मिलती रहती है|

पॉलिसी अवधि : 9, 12 या 15 वर्ष हो सकती है|

अधिकतम बीमित राशि पर कोई सीमा नहीं है|

एलआईसी न्यू बीमा बचत प्लान के लाभ (LIC New Bima Bachat: Survival and Maturity Benefits)

अब यह आपकी पालिसी अवधि पर निर्भर करते हैं|

  • पॉलिसीअवधि9 वर्ष: तीसरे और छठे पॉलिसी वर्ष के अंत में बीमित रकम का 15% (15% of Sum Assured at the end of 3 rd and 6 th policy years)
  • पॉलिसीअवधि12 वर्ष: तीसरे, छठे और नौवें पॉलिसी वर्ष के अंत में बीमित रकम का 15% (15% of Sum Assured at the end of 3 rd , 6 th and 9 th policy years)
  • पॉलिसीअवधि15 वर्ष: तीसरे, छठे, नौवें और बारहवें पॉलिसी वर्ष के अंत में लाभ और बचत बीमित रकम का 15% (15% of Sum Assured at the end of 3 rd , 6 th , 9 th and 12 th policy years)

पालिसी की परिपक्वता पर क्या लाभ मिलेगा?

आपको आपका प्रीमियम (प्रीमियम की किश्त जो आपने पालिसी एते समय दी थी| साथ ही आपको loyalty addition (निष्ठां वृद्धि) भी परिपक्वता के समय दी जायेगी|

एलआईसी न्यू बीमा बचत प्लान: मृत्यु लाभ (LIC New Bima Bachat: Death Benefit)

  • 5 वर्षों के भीतर मौत की स्थिति में, नामांकित व्यक्ति को बीमित राशि (Sum Assured) दी जायेगी।
  • 5 वर्षों के बाद मृत्यु की स्थिति में, नामांकित व्यक्ति को बीमित रकम के साथ लॉयल्टी वृद्धि भी दी जायेगी| (Sum Assured + Loyalty Addition)

प्लान के बारे में अधिक जानकारी आप एलआईसी की वेबसाइट पर पा सकते हैं|

एलआईसी न्यू बीमा बचत में रिटर्न कितना मिलेगा?

देखिये एलाईसी न्यू बीमा बचत एक पारंपरिक जीवन बीमा उत्पाद है|

इसीलिए ज्यादा रिटर्न की अपेक्षा तो आप नहीं कर सकते|

टैक्स से पहले आप 5-7% p.a. रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं|

पर इस प्लान एक और भी बड़ी समस्या है| आईये देखते हैं|

क्या आप टैक्स बचाने के लिए जीवन बीमा खरीदते हैं?

बहुत सारे लोग धारा 80 सी (Section 80C) के तहत टैक्स बचाने के लिए जीवन बीमा योजना खरीदते हैं।

पर आप प्रीमियम भुगतान के लिए कितना टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं, इस बात की एक सीमा है|

एक उदहारण की सहायता से समझते हैं|

एलआईसी बीमा बचत प्लान (15 वर्ष की पालिसी अवधि) के लिए एक 30 वर्षीय व्यक्ति को तकरीबन 81,000 का प्रीमियम भरना होगा|

धारा 80 सी के तहत वार्षिक प्रीमियम के भुगतान के लिए आपका टैक्स बेनिफिट प्रीमियम राशि या बीमा राशि का 10% (इनमें से जो भी कम है), उस पर सीमित है| Tax Benefit capped at lower of (Annual Premium, 10% of Death Benefit)

तो इस स्तिथि में आपको पूरे 81,000 के प्रीमियम पर टैक्स बेनिफिट नहीं मिलेगा|

बीमा राशि का 10 प्रतिशत केवल 10,000 रुपये हैं| (10% * 1 लाख रुपये)

आपको टैक्स बेनिफिट केवल 10,000 रुपये का ही मिलेगा|

शायद आपके टैक्स बचाने की सीमा पहले ही खत्म हो गयी हो| तो आप कह सकते हैं की आपको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता |

इसके बावजूद भी अभी आपकी परेशानी खत्म नहीं हुई|

आपको मिलने वाली राशि का क्या होगा?

अमूमन लाइफ इंश्योरेंस से मिलने वाली राशि पर कोई टैक्स नहीं देना होता|

पर ऐसा हेशा नहीं होता|

इस बात के लिए भी आयकर के कुछ नियम हैं|

आयकर अधिनियम की धारा 10 (10 डी) के तहत, यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि अगर जीवन बीमा योजना का वार्षिक प्रीमियम बीमित रकम के 10% से अधिक है, तो ऐसी जीवन बीमा योजना से आय कर से छूट नहीं मिलती है।

और हम देख चुके हैं की एलआईसी न्यू बीमा बचत में प्रीमियम बीमा राशि के 10 प्रतिशत से अधिक है|

इसका मतलब यह हुआ की आपको एलआईसी न्यू जीवन बीमा बचत से मिलने वाली राशि पर टैक्स देना पड़ेगा|

ध्यान दें, ऐसी समस्या ज़्यादातर सिंगल प्रीमियम प्लान में हो लाभ और बचत जाती है| आपको केवल एक बार भुगतान करना होता है, इसीलिए राशि बहुत बड़ी हो जाती है|

अगर आप सोच रहे है की आप आयकर विभाग को इस राशि के बारे में नहीं बताएँगे, तो जान लिए लाभ और बचत की इंश्योरेंस कंपनी आपको TDS (टीडीएस) काट कर पैसा देगी| तो आयकर विभाग को इस राशि के बारे में अपने आप पता चल जाएगा|

ध्यान दे मृत्यु के समय मिलने वाली राशि (मृत्यु लाभ) पर अभी भी कोई टैक्स नहीं देना होगा|

आपको क्या करना चाहिए?

देखिये मैं तो कभी भी पारंपरिक जीवन बीमा योजनायों का पक्षधर नहीं रहा|

कम जीवन बीमा मिलता है और रिटर्न भी कम होते हैं|

एलआईसी न्यू बिमा बचत कुछ अलग नहीं है|

साथ ही यहाँ पर आपको टैक्स बेनिफिट भी कम मिलेगा और मिलने वाली राशि पर टैक्स भी देना होगा|

हुआ ना, करेला वो भी नीम चढ़ा|

अगर आप अभी भी एलआईसी न्यू बीमा बचत प्लान खरीदना चाहते हैं, तो आपकी मर्ज़ी|

KVP Scheme : किसानों के लिए फ्री निवेश स्कीम, जल्द करें आवेदन जानें लाभ, बचत, विशेषताएँ

KVP Scheme – किसान विकास पत्र ( Kisan Vikas Patra ) एक सरकार समर्थित लचीला निवेश साधन है, जो प्रमाण पत्र के रूप में पेश किया जाता है। यह एक निश्चित दर वाली छोटी बचत पीएम किसान विकास पत्र योजना (PM Kisan Vikas Patra Yojana) है, जिसे पूर्व निर्धारित अवधि के बाद आपके निवेश को दोगुना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है | इस योजना का लाभ लेने के लिए आप डाकघर ( India Post ) में आवेदन कर सकते है, और डाकघर की प्रमुख योजनों के बारे में भी जान सकते है |

KVP Scheme

KVP Scheme

केवीपी योजना ( PM Kisan Vikas Patra Yojana ) के लिए नामांकन सुविधा में किसान विकास पत्र ( Kisan Vikas Patra ) खरीदते समय फॉर्म सी भरकर नामांकन सुविधा का लाभ उठाया जा सकता है। यदि केवीपी ( KVP Scheme ) प्रमाण पत्र खरीदते समय नामांकन सुविधा का विकल्प नहीं चुना जाता है, तो एकल धारक या संयुक्त धारक फॉर्म सी जमा करके परिपक्वता अवधि से पहले किसी भी समय प्रमाण पत्र खरीदने के बाद ऐसा कर सकते हैं।

किसान विहार पत्र की विशेषताएं –

डाकघर ( India Post ) पीएम किसान विकास पत्र योजना ( PM Kisan Vikas Patra Yojana ) एक निश्चित रिटर्न योजना ( KVP Scheme ) है जो गारंटीकृत रिटर्न प्रदान करती है, और भारत सरकार द्वारा समर्थित है। किसान विकास पत्र ( Kisan Vikas Patra ) की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं |

किसान विकास पत्र प्रमाण पत्र की खरीद –

  • एक अकेला वयस्क
  • संयुक्त ए खाता (अधिकतम 3 वयस्क)
  • संयुक्त बी खाता (अधिकतम 3 वयस्क)
  • 10 वर्ष से अधिक आयु के नाबालिग
  • अवयस्क की ओर से वयस्क या विकृत चित्त वाले व्यक्ति की ओर से अभिभावक

लंबी अवधि की बचत –

किसान विकास पत्र योजना ( PM Kisan Vikas Patra Yojana ) खाता न्यूनतम प्रारंभिक जमा रुपये के साथ खोला जा सकता है। 1000. आप रुपये के गुणकों में एक राशि का निवेश ( Investment ) कर सकते हैं। 100 और केवीपी ( KVP Scheme ) निवेश पर कोई अधिकतम सीमा नहीं है। हालाँकि, किसान विकास पत्र प्रमाण पत्र ( Kisan Vikas Patra ) वर्तमान में रुपये के मूल्यवर्ग लाभ और बचत में उपलब्ध हैं। 1,000, रु. 5,000, रु. 10,000, और रु। 50,000 साथ ही, किसान विकास पत्र आपको करीब 10 साल तक निवेशित रहने की अनुमति देता है, और आपके पैसे को दोगुना कर देता है जिसके परिणामस्वरूप दीर्घकालिक धन सृजन होता है।

पूर्ण सुरक्षा –

किसान विकास पत्र ( Kisan Vikas Patra ) एक सरकार समर्थित साधन है, और पूर्ण सुरक्षा और गारंटीड रिटर्न प्रदान करता है। अवधि के अंत में आपको प्राप्त होने वाली राशि प्रमाणपत्र पर घोषित की जाती है, जो आपके डाकघर ( India Post ) निवेश पर सुरक्षा प्रदान करती है और वह राशि जो आपको अवधि के अंत में प्राप्त होगी।

किसान विकास पत्र ( Kisan Vikas Patra ) प्रमाण पत्र कहाँ से खरीदें –

प्रमाण पत्र अखिल भारतीय डाकघरों में उपलब्ध हैं, और केवीपी ( KVP Scheme ) आवेदन पत्र ऑनलाइन के साथ-साथ भारतीय डाकघरों ( India Post ) और चुनिंदा बैंकों में भी उपलब्ध हैं।

ऋण के लिए संपार्श्विक –

किसान विकास पत्र ( Kisan Vikas Patra ) को जमानत के रूप में गिरवी/हस्तांतरित किया जा सकता है, अर्थात ऋण के लिए आवेदन करते समय संपार्श्विक के रूप में उपयोग किया जाता है, गिरवीदार से स्वीकृति पत्र के साथ संबंधित डाकघर ( India Post ) में निर्धारित आवेदन पत्र जमा करके। हालांकि, यह गिरवी केवल भारत के राष्ट्रपति/राज्य के राज्यपाल, आरबीआई/सहकारी समितियों/सहकारी बैंकों/अनुसूचित बैंकों, निगमों (सार्वजनिक/निजी)//स्थानीय प्राधिकरणों/सरकारी कंपनी और आवास वित्त को ही दी जा सकती है। कंपनियां।

KVP डाकघर स्थानांतरण के लिए आवश्यक दस्तावेज –

  • विधिवत भरा और सत्यापित फॉर्म बी
  • पहचान का प्रमाण (आधार कार्ड/पैन कार्ड/ड्राइविंग लाइसेंस/वोटर आईडी)
  • पते का प्रमाण (पासपोर्ट/बिजली बिल/पानी का बिल/बैंक स्टेटमेंट)
  • मूल केवीपी प्रमाणपत्र
  • खाता धारक द्वारा हस्ताक्षरित हस्तांतरण को मान्य करने वाला लाभ और बचत आवेदन

किसान विकास पत्र ( KVP Scheme ) से समय से पहले निकासी –

  • 1 वर्ष की अवधि के भीतर किए गए समय से पहले निकासी पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। निवेशक ( Investment ) को योजना के नियमों के अनुसार जुर्माना भी देना होगा।
  • 1 वर्ष की अवधि के बाद और 2.5 वर्ष तक की समयपूर्व निकासी पर ब्याज मिलेगा लेकिन कम दर पर।
  • 2.5 साल की अवधि के बाद समय से पहले निकासी पर कोई दंड नहीं लगेगा और लागू दर पर ब्याज भी मिलेगा।

किसान विकास पत्र फॉर्म डाउनलोड करें –

PM Kisan Vikas Patra Yojana – किसान विकास पत्र प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने के लिए, किसान विकास पत्र योजना ( KVP Scheme ) की ऑफिसियल साईट पर आपको आवेदन पत्र ऑनलाइन डाउनलोड करना होगा या सीधे डाकघर ( India Post ) से प्राप्त करना होगा। इस फॉर्म को भरकर डाकघर में जमा करना होगा। किसान विकास पत्र ( Kisan Vikas Patra ) फॉर्म का त्वरित लिंक यहां दिया गया है |

सिर्फ 7 रुपए की बचत दिलाएगी चिंता से मुक्ति, प्रतिमाह मिलेंगे 5000 रुपए

NPS

Government Scheme: अगर आपको भी बुढ़ापे की चिंता सता रही है तो ये खबर आपको बहुक सकून देगी. क्योंकि केन्द्र सरकार (central government) की ये स्कीम आपको सिर्फ 7 रुपए की बचत में 5000 रुपए प्रतिमाह (5000 rupees per month) पाने का अधिकारी बना देगी. यानि सालाना आपको 60,000 रुपए पेंशन मिलेगी. सरकार ने खासकर रिटायरमेंट के बाद (retirement) के बाद की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अटल पेंशन योजना (Atal Pension Yojana) की शुरूआत की थी. जिसका फायदा आज भी ढाई करोड़ से ज्यादा लोग उठा रहे हैं. लेकिन 50 फीसदी लोग आज भी जानकारी के अभाव स्कीम का लाभ नहीं ले पा रहे हैं.

दरअसल, सरकार ने सन 2015 में अटल पेंशन योजना की शुरुआत की थी. लेकिन आज भी काफी लोग योजना के बारे में अनजान है. इसलिए चाहकर भी स्कीम का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. सरकार ने कम आय वाले लोगों को ध्यान में रखते हुए स्कीम लॅान्च की थी. पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए अटल पेंशन योजना को लेकर सर्कुलर भी जारी किया है. जिसके तहत आपको पात्रता जांचने का अवसर भी मिल जाएगा. आपको बता दें कि स्कीम से जुड़ने के लिए आपको 7 रुपए रोज यानि 210 रुपए प्रतिमाह निवेश करना है. जिसके बाद आपकी उम्र 60 साल होते ही आप 5000 रुपए हर माह पेंशन के रूप में पा सकते हैं.

मौत के बाद भी लाभ
अटल पेंशन योजना से आपको जिंदा रहते तो लाभ मिलेगा ही, मृ्त्यु के बाद यह स्कीम आपके परिवार को आर्थिक तंगी महसूस नहीं होने देती है. सब्सक्राइबर की पत्नी किस्त जारी रख योजना से जुड़ी रह सकती है. साथ ही 60 साल बाद पेंशन का लाभ उठा सकती है. यही नहीं नॅामिनी के रूप में भी सब्सक्राइबर की मौत के बाद पत्नी एकमुश्त धनराशि के लिए भी क्लेम कर सकती है.

बचत से आती है आत्मनिर्भरता

आज देश आत्मनिर्भरता के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। उसके लिए जरूरी है कि हम अधिक से अधिक घरेलू संसाधनों से निवेश को बढ़ाते हुए देश का विकास करें। कई देशों ने विदेशी पूंजी पर निर्भर होकर अपने लिए मुश्किलें बढ़ाई हैं…

यूं तो बचत एक वरदान है। बचत करते हुए हम न केवल अपने लिए संपत्ति और संसाधनों का निर्माण कर सकते हैं, अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह भली-भांति कर सकते हैं, बल्कि बुरे दिनों के दौरान विपदा को भी कम कर सकते हैं। भारतीय परंपराओं, स्वभाव और संस्कारों में बचत हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। अक्सर हम अपने द्वारा संचित संसाधनों से अपने जीवन को पहले से बेहतर बनाते हैं। समाज में चाहे जो भी सोच, स्वभाव अथवा परंपरा रही हो, लेकिन भारत में कभी भी अलग प्रकार के विचार की अभिव्यक्ति पर रुकावट नहीं रही। हमारे ही वांग्मय में एक दार्शनिक ‘चारवाक’ का उल्लेख आता है, जिन्होंने बचत संस्कृति के विपरीत एक सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जिसे हम चारवाक सिद्धांत भी कह सकते हैं। उनका यह सिद्धांत भौतिकवादी विचार पर आधारित है। उन्होंने एक श्लोक के माध्यम से कहा ‘ष्यावत् जीवेत सुखम् जीवेत। ऋणं कृत्वा घृतं पिबते। भस्मिभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुत:।’ इसका भावात्मक अर्थ यह है कि जब तक जीएं सुख से जीएं। कोई भी मृत्यु से बचा नहीं, एक बार जब शरीर जल जाएगा तो वापस नहीं आएगा।

इसका अभिप्राय यह है कि बचत तो छोडि़ए, जीवन को सुखमय बनाने के लिए ऋण भी लें। चाहे चारवाक ऋषि ने यह बात कही हो, लेकिन भारतीय समाज ने कभी भी इस सिद्धांत को अपनाया नहीं। प्राचीन काल से ही धनाढ्य लोग स्वयं के उपभोग से बची अपनी आय का कुछ भाग बचत के रूप में रखते थे। उस समय बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान नहीं होने के कारण वे अपनी बचत को स्वर्ण अथवा अन्य संपत्ति के रूप में रखते थे। चूंकि हमारा समाज कभी भी सरकार की सहायता पर निर्भर नहीं रहा, समाज अपने लिए आवश्यक सुविधाएं स्वयं ही जुटाता रहा है। इसीलिए बुरे दिनों में आपदा से निपटने के लिए आश्वासन एवं बीमा हेतु स्वयं की बचत से बढक़र कुछ नहीं है। प्राचीन काल से ही हमारे पुरातन मंदिरों में भी धन-धान्य की भरमार रही है। कई मंदिरों में तो वह धन-धान्य अभी भी कम-अधिक मात्रा में मिलता ही है। दक्षिण भारत के केरल प्रांत में पऽनाभस्वामी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि वहां कई टन लाभ और बचत सोने के सिक्के एवं अन्य वस्तुएं सुरक्षित हैं। मंदिर की ये परिसंपत्तियां कई शताब्दियों से लगातार संग्रहित की जाती रही हैं। पऽनाभस्वामी मंदिर अकेला ऐसा मंदिर नहीं है जहां अपार धन संपत्ति एकत्र है। इसके अलावा कई और मंदिर भी हैं जो हमारे समाज के समर्पण और धन-धान्य के प्रतीक माने जाते रहे हैं। भारतीय समाज में पुरातन काल से ही धन-धान्य से समर्थ लोग स्वयं को धन का न्यासी मानकर, अपने उपभोग से बचाकर धन का उपयोग सराय, शिक्षण संस्थान एवं अन्य सामाजिक सरोकार के लिए भी करते थे। बैंकों एवं अन्य आधुनिक वित्त संस्थानों के अभाव में लोगों की बचत को एकत्र कर उत्पादन कार्यों में लगाने की तो व्यवस्था नहीं थी, लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं कि वित्तीय लेन-देन की प्रक्रिया उस समय नहीं होती थी। वर्तमान में जैसे धन हस्तांतरित करने में आधुनिक तंत्र का उपयोग होता है, उस समय धन हस्तांतरित करने में हुंडी का उपयोग काफी प्रचलित था। लोग स्वयं की बचत को अपने पास तो रखते ही थे, नगर-सेठ और व्यवसायियों को भी धन देकर उससे लाभ कमाया जाता था। बचत संस्कृति का ही प्रभाव था कि देश के लोग सूखा एवं अन्य विपदाओं के बावजूद काफी हद तक अप्रभावित रहते थे।

हमारे देश में विचारों की स्वतंत्रता तो सदैव ही रही है, जैसे पूर्व में चारवाक ऋषि ने ऋण लेकर उपभोग करने हेतु बचत संस्कृति से इतर विश्वास व्यक्त किया था, उसी प्रकार वर्तमान काल में कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बचत तो दूर, हमे उधार लेकर भी उपभोग बढ़ाना चाहिए। ऐसे में वे उदाहरण देते हैं कि कार, गृह एवं अन्य प्रकार के ऋणों के आधार पर ईएमआई देते हुए खरीद करने में भी कोई संकोच नहीं करना चाहिए। इस प्रकार ऋणों के आधार पर हम अपनी मांग में वृद्धि कर सकते हैं जिससे उत्पादन को प्रोत्साहन मिलता है और ग्रोथ संभव होती है। आजादी से पूर्व विदेशी शासन के कारण देश के लोगों द्वारा खासी मेहनत के बावजूद हमारा देश प्रगति नहीं कर पाया। यदि पिछली सदी के प्रथम पांच दशकों को देखा जाए तो पता चलता है कि हमारी राष्ट्रीय आय की वार्षिक वृद्धि दर एक प्रतिशत से भी कम थी जिसके कारण हमारी प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि दर शून्य ही रही। इसका कारण यह था कि अंग्रेजी शासन के दौरान हमारे देश में उद्योगों का ह्रास भी हुआ और किसानों के शोषण और उनके अधिकारों के हनन के कारण कृषि में भी निवेश की प्रेरणा समाप्त हो गई थी। इसलिए देश के लोगों में बचत संस्कृति के बावजूद निवेश के पर्याप्त अवसर नहीं होने के कारण उसका सदुपयोग नहीं हो पाया। लेकिन आजादी के बाद देश में बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थानों के विकास के कारण लोगों की बचत को हम बेहतर तरीके से एकत्र करने में सफल हो रहे हैं। उधर पूंजी बाजार में भी बचत के निवेश की पर्याप्त संभावनाएं मिलती हैं।

उसके बावजूद लोग अपनी बचत का उपयोग अचल संपत्ति निर्माण एवं सोना-चांदी की खरीद में भी करते हैं। आजादी के बाद जैसे-जैसे बचत एकत्रीकरण की सुविधाएं बढ़ी, कुल जीडीपी के प्रतिशत के रूप में बचत का योगदान बढ़ता गया। जहां 1950-51 में कुल घरेलू बचत जीडीपी का मात्र 8.6 प्रतिशत ही थी, 1960-61 में यह बढक़र 11.2 प्रतिशत, 1970-71 में 14.2 प्रतिशत, 1980-81 में 18.5 प्रतिशत, 1990-91 में 22.8 प्रतिशत और 2004-05 में 32.4 प्रतिशत तक पहुंच गई। देश में अधिकतम बचत दर 2007-08 में 36.8 प्रतिशत थी। लेकिन उसके बाद बचत दर में गिरावट देखने को मिल रही है। और यह वर्ष 2017-18 में 32.07 प्रतिशत और 2019-20 में 31.38 प्रतिशत रही। इसका सीधा-सीधा प्रभाव देश में पूंजी निर्माण पर दिखाई देता है। 1950-51 में सकल घरेलू पूंजी निर्माण जीडीपी का 8.4 प्रतिशत, 1960-61 में 14.0 प्रतिशत, 1970-71 में 15.1 प्रतिशत, 1980-81 में 19.9 प्रतिशत, 1990-91 में 26.0 प्रतिशत और 2007-08 में 38.1 प्रतिशत तक पहुंच गया था। उसके बाद बचत दर में कमी के कारण यह सकल घरेलू पूंजी निर्माण वर्ष 2017-18 में 33.89 प्रतिशत और वर्ष 2019-20 में 32.19 प्रतिशत पहुंच गया। बचत और पूंजी निर्माण की बढ़ती दरों ने देश में ग्रोथ की बेहतर स्थिति निर्माण की और जीडीपी की ग्रोथ की दर पूंजी निर्माण की दर के अनुपात में बढ़ती गई। 1950 से 1980 के तीन दशकों में हमारी राष्ट्रीय आय की ग्रोथ की दर मात्र 3.5 प्रतिशत ही थी, लेकिन 1980 से 1990 के दशक में यह 5.2 प्रतिशत थी, लेकिन 2001-02 से 2011-12 के बीच में यह 8 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। समझा जा सकता है कि पूंजी निर्माण की बढ़ती दरों ने यह संभव कर दिखाया। कुछ अर्थशास्त्री यह तर्क देते हैं कि पूंजी निर्माण तो विदेशी पूंजी से भी हो सकता है।

विदेशी पूंजी से भी व्यवसाय खुल सकते हैं, रोजगार भी निर्माण हो लाभ और बचत सकता है और जीडीपी भी बढ़ सकती है। लेकिन नहीं भूलना चाहिए कि विदेशी पूंजी पर निर्भरता से देश पर देनदारियां बढ़ती हैं और विदेशी मुद्रा भंडारों पर दबाव बढ़ता है। चाहे विदेशी यहां अंश पूंजी में भी निवेश करते हैं और देश पर उधार की देनदारियां नहीं बढ़ती, लेकिन विदेशी कंपनियां देश से भारी मात्रा में धन रॉयल्टी, टेक्निकल फीस, डिविडेंड, लाभ एवं वेतन के रूप में अपने मूल देशों में ले जाती हंै। यह सभी विदेशी मुद्रा में जाता है। गौरतलब है कि आज भारत में जितना विदेशी निवेश आता है, उससे भी ज्यादा मात्रा में इन तरीकों से देश से विदेशी मुद्रा बाहर जाती है। यही नहीं, देश के संसाधनों पर विदेशियों का कब्जा बढ़ता जाता है। आज देश आत्मनिर्भरता के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। उसके लिए जरूरी है कि हम अधिक से अधिक घरेलू संसाधनों से निवेश को बढ़ाते हुए देश का विकास करें। नहीं भूलना चाहिए कि ब्राजील, अर्जेंटीना, लेटिन अमेरिका, श्रीलंका और कई अन्य देशों ने विदेशी पूंजी पर अधिक निर्भर होकर अपने-अपने देशों के लिए मुश्किलें बढ़ाई हैं।

500 रुपए में खुलवाएं डाकघर बचत खाता, मिलेगा हाई रिटर्न और 7000 की टैक्स छूट

डाकघर बचत खाते पर दी जाने वाली ब्याज दरों की सरकार द्वारा तिमाही समीक्षा की जाती है है। वैध केवाईसी दस्तावेजों वाला कोई भी व्यक्ति निकटतम डाकघर में 500 रुपए की शुरुआती जमा राशि के साथ एक बचत खाता खोल सकता है।

Updated: July 13, 2021 06:18:19 pm

नई दिल्ली। अगर आप अपनी मेहनत की कमाई को बचाते हुए कुछ अतिरिक्त लाभ अर्जित करना चाहते हैं तो आपके लिए सबसे बेहतर विकल्प डाकघर में बचत खाता खुलावाना और पैसा जमा करना हो सकता है। डाकघर में बचत खाता खुलवाने का आपको दोहरा लाभ मिल सकता है। पहला बैंकों की तुलना में अधिक ब्याज और दूसरा जमाकर्ता को एक वित्तीय वर्ष में 3,500 रुपए तक के ब्याज पर कर छूट के आप पात्र होंगे वो अलग। संयुक्त खाते के मामले में यह छूट 7,000 रुपए तक है।

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डाकघर बचत खाते पर ब्याज ज्यादा

पिछले कुछ समय से बैंक बचत खाते पर दिए जाने वाले ब्याज में गिरावट जारी है। भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक द्वारा दी जाने वाली ब्याज दर सालाना 2.7 प्रतिशत तक गिर गई है। जबकि डाकघर बचत खाते अभी भी 4 फीसदी रिटर्न दे रहे हैं। यही वजह है कि डाकखाने की छोटी बचत योजना खुदरा निवेशकों के बीच सबसे पसंदीदा विकल्पों में से एक है। इसमें दूसरी स्कीमों की तुलना में अधिक ब्याज मिलता है। डाकघर बचत खाते सहित छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों की तिमाही आधार पर समीक्षा की जाती है। जुलाई से सितंबर तिमाही के लिए सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है।

डाकघर बचत खाता न्यूनतम 500 रुपए जमा कर खोला जा सकता है। डाकघर बचत खाते पर ब्याज की गणना हर महीने की 10 तारीख या महीने के आखिरी दिन के बीच न्यूनतम शेष राशि पर की जाती है। रखरखाव शुल्क के रूप में 100 की कटौती की जाती है। अगर खाते का बैलेंस जीरो हो जाता है तो खाता अपने आप बंद हो जाएगा।

वित्त मंत्रालय ने Post Office में सेविंग बैंक अकाउंट को लेकर 9 अप्रैल, 2021 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसमें बताया था कि कौन-कौन लोग जीरो बैलेंस पर सेविंग अकाउंट खोल सकते हैं। इनमें कोई भी आम व्यक्ति जो किसी भी सरकारी कल्याण योजना का पंजीकृत वयस्क सदस्य हो और नाबालिग की स्थिति में अभिभावक द्वारा जिसका नाम किसी भी सरकारी लाभ के लिए रजिस्टर्ड है, वे इसका लाभ ले सकते हैं।

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